Thursday, July 29, 2010

तल्लाफुज़ ना था साफ़...

तल्लाफुज़ ना था साफ़, होंठ भी कप-कापते थे,
उनसे मोहोब्बत के इसहार में, हम खुद ही घुटते जाते थे,
एक रोज़ सोचा, कर देंगे, उनसे हाल-इ-दिल बयान,
पर सामने उनको पा कर, होंठ खुद-बी-खुद सिल जाते थे...
हिम्मत करके सोचा, कर देंगे इसहार-इ-दिल,
दिल को समझाया, ना तड़पने देंगे तुझको एक पल भी,
जब सामने उनके जा कर, हुए खड़े हम यूँ इस कदर,
शोख नज़रों से वो जो मुस्कुराये, देख नज़रों को, हम सब भूल जाते थे...

Saturday, July 3, 2010

कोई तो आ कर लफ्ज़ लिखे...

कोई तो आ कर लफ्ज़ लिखे, कोई तो कुछ गुलज़ार करे,
हम तो बस प्यार के भूखे है, कोई लफ़्ज़ों की बोछार करे,
न लिखे हाजार, बस चार लिखे,
कुछ मीठा, खट्टा प्यार लिखे,
हम तो बस प्यार के भूखे है, कोई लफ़्ज़ों की बोछार करे...

आज पुरानी यादों ने...

आज पुरानी यादों को, जिंदा मैंने कर दिया,
जागती आँखों देखा जिनको, उनको सपना कर दिया,
याद पुरानी ताज़ा थी, ज़ख्मो में बेहाल सी,
छु के अपने ज़ख्मो को, उनको जिंदा कर दिया
दर्द से सहमा बैठा था, यादों ने झकझोर दिया,
शब्द का मिलना मुश्किल था, आंशुओ को बटोर लिया,
भीग कर मनं को दर्द दिया, अश्को ने मुह मोड़ लिया,
आज पुरानी यादों ने, मुझसे रिश्ता तोड़ दिया...

याद तो फिर भी ताज़ा थी, कल की बातों के जैसे,
रोज़ सवेरे लगता था, एक नयी सुबह हो ये जैसे,
रात भिगोके मनं मेरा, मुझसे रिश्ता जोड़ लिया,
आज पुरानी यादों ने, मुझसे रिश्ता तोड़ दिया...