लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Saturday, July 3, 2010
कोई तो आ कर लफ्ज़ लिखे...
कोई तो आ कर लफ्ज़ लिखे, कोई तो कुछ गुलज़ार करे,
हम तो बस प्यार के भूखे है, कोई लफ़्ज़ों की बोछार करे,
न लिखे हाजार, बस चार लिखे,
कुछ मीठा, खट्टा प्यार लिखे,
हम तो बस प्यार के भूखे है, कोई लफ़्ज़ों की बोछार करे...
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