Monday, May 28, 2012

एक शख्स बैठा पास में...

















एक शख्स बैठा पास में,
एक नए अंदाज़ में,
कभी झाँक, कभी ताकता,
हर चेहरा नये लिबास में,
कभी हिलता, कभी डुलता,
एक नये अंदाज़ में,
एक शख्स बैठा पास में ।

बैचैन नज़रें ताकती, आँखें, सवालों सी है झांकती,
कुछ पूछती, कुछ जानती,
कुछ जवाब मुझसे मांगती,
मैं नज़रें चुरा खो जाता अपने लफ़्ज़ों में,
रह जाता तनहा वो, खो जाता अपने जज्बों में,
कभी झांकता, कभी ताकता,
हर चेहरा नये लिबास में,
एक शख्स बैठा पास में,
एक नए अंदाज़ में ।।

रास्ते की दूरियां...















ये रास्ते की दूरियां,
ये ख़्वाबों की मजबूरियां,
जन्नतें खोजती आँखें,
पर्दा-नशीं जहान में डूबी सांसें,
खोजती है जीने का मकसद,
झांकती है, ताकती है, खोजती है अपने होने का निशान,
कभी बनाती, कभी मिटाती ख़्वाबों के मकान,
बस दौड़ती-भागती ज़िन्दगी में, खोजती अपने होने का मकसद,
ये रास्ते की दूरियां,
ये ख़्वाबों की मजबूरियां ।

कुछ धुंधले पड़ते चेहरे,
कुछ पर यादों के घने पहरे,
आँखों में तैरती यादें,
होंठों पर सौ बातें,
खोजती अपने होने की वजह,
जीती, अपने होने की सज़ा,
ये बढ़ती दिलों में रास्तों की दूरियां,
ये उलझे ख़्वाबों की मजबूरियां ।।

Friday, May 18, 2012

तेरी तस्वीरों में झांकते-झांकते...

तेरी तस्वीरों में झांकते-झांकते खुद की तस्वीर बदल गयी,
अश्क बिखरते रहे, चेहरे की जागीर बदल गयी,
जो हँसता था गोया हर किसी के लिए,
जो मरता था गोया हेर किसी के लिए,
आज, उसके चेहरे की जागीर बदल गयी,
तेरी तस्वीरों में झांकते-झांकते खुद की तस्वीर बदल गयी...

होसला न अब हंसने का, न होता है सनम,
तेरी दर्द भरी रुसवाइयों का, इतना है करम,
हँसता हूँ चेहरे का दर्द छुपाने के लिए,
बोलता हूँ तेरा गम भुलाने के लिए,
अश्क बिखेरते-बिखेरते चेहरे की जागीर बदल गयी,
तेरी तस्वीरों में झांकते-झांकते खुद की तस्वीर बदल गयी ।।