ये रास्ते की दूरियां,
ये ख़्वाबों की मजबूरियां,
जन्नतें खोजती आँखें,
पर्दा-नशीं जहान में डूबी सांसें,
खोजती है जीने का मकसद,
झांकती है, ताकती है, खोजती है अपने होने का निशान,
कभी बनाती, कभी मिटाती ख़्वाबों के मकान,
बस दौड़ती-भागती ज़िन्दगी में, खोजती अपने होने का मकसद,
ये रास्ते की दूरियां,
ये ख़्वाबों की मजबूरियां ।
कुछ धुंधले पड़ते चेहरे,
कुछ पर यादों के घने पहरे,
आँखों में तैरती यादें,
होंठों पर सौ बातें,
खोजती अपने होने की वजह,
जीती, अपने होने की सज़ा,
ये बढ़ती दिलों में रास्तों की दूरियां,
ये उलझे ख़्वाबों की मजबूरियां ।।

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