डर से सहमा जकड़ा मैंने, आज खुद को पाया है,
दिल धड़कता तेज़, रगों में डर का साया है,धडकनों की रफ़्तार तेज़, दिल में हलचलें भी तेज़ है,
किस से डर लगता है, ये तो लगता अपना साया है...
सुबह जागे थे सवेरे, मुस्कुराते से हुए,
मासूम सा था चेहरा, साथ मुस्कान के मेरे,
जाने ज़िन्दगी के मन में आज, क्या नयी हलचल मची
डर से सहमा जकड़ा मैंने, आज खुद को पाया है...
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