Tuesday, June 1, 2010

लिखने से कभी किसी ने, न पेट मेरा भर दिया...

ज़िन्दगी की चाह ने, ज़िन्दगी से दूर कर दिया,
लिखने की चाह ने, दुनिया से मसरूफ कर दिया,
न लिखता अगर तो क्या करता, सोचा करता हूँ रात दिन,
लिखने से कभी किसी ने, न पेट मेरा भर दिया,
तारीफ़ बा-मुस्तेद मिली हर दरवाजे मुझे,
पर रोटी की भूख ने, बे-हाल मुझको कर दिया,
न लिखता अगर तो क्या करता, सोचा करता हूँ रात दिन,
लिखने से कभी किसी ने, न पेट मेरा भर दिया...

No comments:

Post a Comment