चेहरे पर नकाब चढ़ाना सिखा गया कोई,
गम में भी मुस्कुराना सिखा गया कोई,रोते थे, छुप-छुप कर अँधेरे कोनो में,
गम को भी इस कदर छुपाना सिखा गया कोई,
हम तो फिरते थे, राहों में आवारा,
न था गम, न था ख़ुशी का सहारा,
न घुटते थे अंदर-अंदर, न गम छुपा पाते थे,
बस खुद दर्द सहकर, दूसरों को मुस्कुराते थे,
पर न जाने रब के दिल में क्या सूझी, एक छोटा सा दिल बना दिया,
गम इतना दिया की जीना सिखा दिया...