Saturday, August 14, 2010

इन शोख-शोख दो नैनों से...

इन शोख-शोख दो नैनों से, ना देख मुझे ज़ालिम कातिल,
इस शोख अदा के मद-मस्त दीवाने, हम तो बहुत पहले से थे,
वो जाम गुलाबी होंठों से, हर रोज़ पिया कर लेते थे,
अब जाम मिला जो हांथों में, उस मैय को खोजा करते थे...

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