Tuesday, August 24, 2010

आज सुबह जा कर मयखाने...

आज सुबह जा कर मयखाने, मैंने पैमाना तोड़ दिया,
मिलते थे जहाँ जाम से जाम, वो मयखाना छोड़ दिया,
सोचा किये, अब ना पियेंगे इस पैमाने के बाद,
पर साकी ने जो जाम दिया, फिर मयखाना जोड़ दिया...

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