कुछ तो असर है उन आँखों का, जो तनहा होने नहीं देती,
इस भीड़ के बीच भी अकेला होने नहीं देती,
कभी मुस्कराहट खेलती होंठों पर, तो चेहरे पर रंगत सी कर देती है,
तो कभी भीड़ में तनहा होते ही, तेरी यादों में रुसवा कर देती है,
मैं सोचता हु, क्यूँ मुस्कराहट ज़िन्दगी सी भर देती है,
और न होकर, चेहरों को फीका कर देती है,
कुछ तो असर है उन आँखों का, जो तनहा होने नहीं देती,
इस भीड़ के बीच भी खोने नहीं देती...
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