क्यूँ हर पल तेरी जुत्सुजू है,
क्यूँ हर पल तेरी आरज़ू है,
क्यूँ नज़रें बस तुझे ही खोजती है,
क्यूँ बस तेरी ही गुफ्तुगू है...
तेरी नज़रों का तवास्सुर यूँ छाया, कि खोने लगा मैं कहीं,
भीड़ में चलता रहा, रहा तनहा मैं कहीं,
बस दिल ही दिल, तेरी गुफ्तुगू यूँ चलती रही,
बस दिल ही दिल, यह आरज़ू पलती रही,
राह में जाने कितने हसीन नज़ारें थे, फिर क्यूँ यह नज़रें बस तुझे ही खोजती रही,
क्यूँ हर पल तेरी जुत्सुजू चलती रही,
क्यूँ यह आरज़ू पलती रही,
एक नज़र देख, जी भर लेता मैं,
मुस्कुरातें वो होंठ, ज़िन्दगी सजा लेता मैं,
क्यूँ यूँ तनहा सी जुत्सुजू है,
क्यूँ हर पल तेरी आरज़ू है...
क्यूँ हर पल तेरी आरज़ू है,
क्यूँ नज़रें बस तुझे ही खोजती है,
क्यूँ बस तेरी ही गुफ्तुगू है...
तेरी नज़रों का तवास्सुर यूँ छाया, कि खोने लगा मैं कहीं,
भीड़ में चलता रहा, रहा तनहा मैं कहीं,
बस दिल ही दिल, तेरी गुफ्तुगू यूँ चलती रही,
बस दिल ही दिल, यह आरज़ू पलती रही,
राह में जाने कितने हसीन नज़ारें थे, फिर क्यूँ यह नज़रें बस तुझे ही खोजती रही,
क्यूँ हर पल तेरी जुत्सुजू चलती रही,
क्यूँ यह आरज़ू पलती रही,
एक नज़र देख, जी भर लेता मैं,
मुस्कुरातें वो होंठ, ज़िन्दगी सजा लेता मैं,
क्यूँ यूँ तनहा सी जुत्सुजू है,
क्यूँ हर पल तेरी आरज़ू है...
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