
सोच किया, विचार किया,
जाने कई-कई बार किया,
कैसे कहूं गुज़रे वक़्त को,
जो कई-कई बार जिया ।
वो शुरू हुआ, कोई ख़ास मिला,
जीने की जैसे आस मिला,
कुछ रंग मिले, कुछ रास मिला,
उमंगों का एहसास मिला,
रूप-सुरूप बहुतेरे,
अपना सा कोई ख़ास मिला,
सोच किया, विचार किया,
जाने कई-कई बार किया,
कैसे कहूं गुज़रे वक़्त को,
जो जाने कई-कई बार जिया ॥
साँसों की यूँ बाँधी डोरी,
मैं काला, दूजी इक गोरी,
लड़ते-झगड़ते, प्यार पे मरते,
संग-संग बाधा हर तरते,
इक-दूजे को जहान मान कर,
नित अभिनव, श्रद्धा अर्पण त्यों करते,
कभी, बहुत बड़ों सा,
तो कभी बच्चों सा व्यवहार किया,
सोच किया, विचार किया,
जाने कई-कई बार किया,
कैसे कहूं गुज़रे वक़्त को,
जो जाने कई-कई बार जिया ॥।