Friday, January 28, 2011

तेरे लफ़्ज़ों में डूबें है...

तेरे लफ़्ज़ों में डूबें है, तेरी यादों के पहरे है,
मेरी हर साँसों में, तेरे ही चेहरे है,
मैं ये सोचता हूँ की तुम न होती तो क्या मैं होता?
मेरे हर लफ़्ज़ों में, तेरे ही चेहरे है,
सोचता हूँ, किसी दिन आ कर पूछु,
तुझसे मेरी गलती का मकसद,
पर सोचता हूँ, जाने दो क्यूंकि इसमें तेरे-मेरे हर पल सुनहरे है...

Friday, January 7, 2011

ज़िन्दगी रूकती नहीं...

ज़िन्दगी रूकती नहीं, तेरे या मेरे लिए,
ये तो चलती रहती है, नए एक सवेरे के लिए,
मैं रुक भी जाता हूँ, राहों में कहीं,
वक़्त रुकता नहीं, तेरे या मेरे लिए...

नब्ज़ तेज़ चलती है, आहटों पर उनकी,
दिल धड़कता रहता है, सर्सराहतों पर उनकी,
एक रौशनी की चाह खोजती रहती है आँखे, बुझती नहीं मेरे लिए,
दिन ढल जाता है फिर नए एक सवेरे के लिए,
ज़िन्दगी रूकती नहीं, तेरे या मेरे लिए,
ये तो चलती रहती है, नए एक सवेरे के लिए...

तेरी छोटी सी मुस्कराहट...

तेरी छोटी सी मुस्कराहट, काम कर गयी,
मैं कुछ कह न सका, मुझे बदनाम कर गयी,
तेरी आँखों ने कुछ ऐसे छुआ मुझे, क़त्ल-इ-आम कर गयी,
मैं कुछ कह न सका और मुझे बदनाम कर गयी...

लफ्ज़ नहीं तेरे बारे में...

लफ्ज़ नहीं तेरे बारे में, दिल-इ-हसरत बताने की,
तेरी जुल्फों में, हसरत है सवर जाने की,
दिल के बूटों पर हम, शाख-इ-हसरत उगा लेते काफिर,
पर हिम्मत नहीं टूटा दिल आजमाने की,

दिल जोड़ भी लेते तो क्या अजब कर लेते हम,
वो तो जलती शमा थी, मैं बुझते परवाने की,
तेरी जुल्फों में, हसरत है सवर जाने की,
लफ्ज़ नहीं तेरे बारे में, दिल-इ-हसरत बताने की...

एक छोटा सा सैलाब उठा...

एक छोटा सा सैलाब उठा और मुझको यूँ झकझोर गया,
यादों का फिर मेरा दामन भीगा, मुझको रोता छोड़ गया,
रोज़ तरसती थी जो आँखे, यार मेरे दीदार को,
एक रोज़ सुबह उठ कर तुने, खुद से रिश्ता तोड़ दिया...

शुब्ध था तेरे ख्यालों से...

शुब्ध था तेरे ख्यालों से, तेरी तस्वीर भी धुंदली थी,
पर तुने रिश्ता तोड़ कर, खुद को रुखसत कर लिया,
यादें फिर भी ताज़ा थी, बात कल की तरह,
पर तुने रिश्ता तोड़ कर, खुद को रुखसत कर लिया...