लफ्ज़ नहीं तेरे बारे में, दिल-इ-हसरत बताने की,
तेरी जुल्फों में, हसरत है सवर जाने की,दिल के बूटों पर हम, शाख-इ-हसरत उगा लेते काफिर,
पर हिम्मत नहीं टूटा दिल आजमाने की,
दिल जोड़ भी लेते तो क्या अजब कर लेते हम,
वो तो जलती शमा थी, मैं बुझते परवाने की,
तेरी जुल्फों में, हसरत है सवर जाने की,
लफ्ज़ नहीं तेरे बारे में, दिल-इ-हसरत बताने की...
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