उम्मीद के बादल जो छाये,
बरखा ऋतु भी संग लाये,
कभी घरड-घरड, कभी लहर-लहर,
नभ आँगन पर छाये,
उम्मीद के बादल जो छाये,
बरखा ऋतु भी संग लाये |
कहीं नीली-पीली धूप भरी,
कहीं पेड़ों की छाया हरी,
हर काया जैसे मुस्काई,
बूँदें मोती बन कर छाई,
कभी घरड-घरड, कहीं लहर-लहर,
नभ आँगन पर छाये,
उम्मीद के बादल जो छाये,
बरखा ऋतु भी संग लाये ||

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