Monday, November 25, 2013

नक़ल-अकल...

गहन समस्या जान के, बोल बचन बतलाये,
चोरी हुआ जो सौंदर्य-चरित, गलत हाँथों में पड़ जाए,
कोई, बाल ज्यूँ ही बनाये, एक से कपड़े भी सिलवाये,
गहन समस्या जान के, बोल बचन बतलाये ।

दो कुंवारी बालाए, एक-एक मुस्काये,
एक कुंवारी पूर्ण सुंदरी, दूजी नक़ल-अकल किये जाए,
अतः वीणा पहली की किन्तु दर्द भी कैसे बतलाये,
दूजी भी जो करे नक़ल, अकल पर बल पड़ जाए,
देख विरह पहली की अभिनव, कलम, रगड़-रगड़ चलाये,
गहन समस्या मान के, बोल बचन बतलाये,
रहो सुखी अपने तन-भीतर, नक़ल न मोल बढ़ाये,
नक़ल का रंग चढ़ा जो सजनी, अकल पर जंग लगाये,
रहो पथिक, दुनिआ से अलग, तो ज्यों मान बढ़ाये,
गहन समस्या जान के, बोल बचन बतलाये ॥

जैसी जिसकी चाकरी, तैसो चढ़ियों मांड,
नक़ल-नक़ल में छोकरी, अकल भी चढ़ जाए टांड़,
दूजी की जो नक़ल करे तो खुद का करे अमान,
रूप-सरूप परिपूर्ण सुंदरी, त्यों, नक़ल को रख दे टांड ॥।

रहो सुखी अपने तन-भीतर, नक़ल न मोल बढ़ाये,
नक़ल का रंग चढ़ा जो सजनी, अकल पर जंग लगाये,
रहो पथिक, दुनिआ से अलग, तो ज्यों मान बढ़ाये,
गहन समस्या जान के, बोल बचन बतलाये ॥॥

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