Thursday, October 28, 2010

मुझको मेरी राहों में...

मुझको तन्हाई में भी, लोगो की आवाज़ सुनाई देती है,
मुझको अंधेरों में भी, खुद की परछाई दिखाई देती है,
बदल रहा हूँ मैं शायद, यह एहसास होने लगा है,
मुझको मेरी राहों में, तन्हाई दिखाई देती है...

उस बेगाने शक्श ने...

कल रात, एक सवाल-इ-दिल, मैंने खुद से किया,
क्या इतना मुफलिस हो गया, की खुद को मैंने खो दिया,
रात भर जागा किया थे, जिस बेगाने शक्श को,
आज, उस बेगाने शक्श ने, खुद बेगाना कर दिया,
क्या खता थी मेरी, बना दिया गुनाहगार,
आज मेरे ख़त को भी, बेरंग लौटा दिया,
रोज़ कहते फिरते थे, मुझको अपना, मुझको अपना,
आज, उस बेगाने शक्श ने, मुझको बेगाना कर दिया...

Monday, October 25, 2010

लफ्ज़ मैं नहीं चुनता...

लफ्ज़ मैं नहीं चुनता, लफ्ज़ मुझे चुन लेते है क्यूँ,
शब्द मैं नहीं लिखता, शब्द मुझे लिख देते है क्यूँ,
मैं तो चाहूं दिल की हसरत बताना,
जाने ये लफ्ज़ खुद-ब-खुद, नज़्म लिख देते है क्यूँ...

Friday, October 22, 2010

सर्द होने लगी है रातें...

फिज़ाओ की रंगत बदलने लगी है,
दिशाओ की रंगत बदलने लगी है,
सर्द होने लगी है रातें,
हवाओ की रंगत बदलने लगी है,
तेज़ हवाओ का आलम देखो,
सर्द होने लगी है रातें,
जहाँ कल तक चला करते थे घरों में पंखे,
वहां रजैया तन ने लगी है...

Thursday, October 21, 2010

जाने क्यूँ मुझको...

पहरों-पहर मुझसे बातें करके, मेरे दिल को जिंदा कर दिया,
साज़ दिल सजने लगे, दिल में इतनी रंगत कर लिया,
हर आवाज़ में उनकी ही आवाज़ सुनाई देने लगी,
हर चेहरे में, उनकी ही परछाई नज़र आने लगी,
दिल लगाते ही, मुझसे मैं को रुसवा कर दिया,
अब न आते है, दो घडी बोल के वो पल दोबारा,
जाने क्यूँ मुझको, इतना तनहा कर दिया...

याद आती नहीं उनको...

याद आती नहीं उनको मेरी, कोई गम नहीं,
याद करते है कितना, उनको कोई भरम नहीं,
अब तो हाल-इ-दिल पूछना भी, न-मुनासिब समझते है वो,
लगता है जैसे, उनको अपना कोई गम नहीं...

Wednesday, October 6, 2010

इस रात की ख़ामोशी में...

इस रात की ख़ामोशी में, तेरी ही यादों का बसेरा हुआ,
आँखों में आस की रौशनी, दिल में दर्द का अँधेरा हुआ,
चाहता हूँ तेरे सीने से लिपट कर रोना,
पर यहाँ मेरी ही बाहों का बसेरा हुआ...
हर जर्रे में तुझे खोजने की कोशिश की,
दिल की दीवारों पर तेरा बसेरा हुआ,
चाहता था तुझे आफताब की तरह,
पर तू ही मेरा खुदा हुआ...

Monday, October 4, 2010

नज़र-इ-करम इतना करो...

नज़र-इ-करम इतना करो, हर राह गुलज़ार हो मेरी,
राह में गिरने वाला हर फूल, भीगा हो दुआ में तेरी,
मैं न चाहूं धन-दोलत, राह में बिखरें मेरी,
मुझको तो बस होसला हो, हर राह में दुओं की तेरी...