लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Monday, October 25, 2010
लफ्ज़ मैं नहीं चुनता...
लफ्ज़ मैं नहीं चुनता, लफ्ज़ मुझे चुन लेते है क्यूँ, शब्द मैं नहीं लिखता, शब्द मुझे लिख देते है क्यूँ, मैं तो चाहूं दिल की हसरत बताना, जाने ये लफ्ज़ खुद-ब-खुद, नज़्म लिख देते है क्यूँ...
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