Thursday, October 28, 2010

उस बेगाने शक्श ने...

कल रात, एक सवाल-इ-दिल, मैंने खुद से किया,
क्या इतना मुफलिस हो गया, की खुद को मैंने खो दिया,
रात भर जागा किया थे, जिस बेगाने शक्श को,
आज, उस बेगाने शक्श ने, खुद बेगाना कर दिया,
क्या खता थी मेरी, बना दिया गुनाहगार,
आज मेरे ख़त को भी, बेरंग लौटा दिया,
रोज़ कहते फिरते थे, मुझको अपना, मुझको अपना,
आज, उस बेगाने शक्श ने, मुझको बेगाना कर दिया...

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