जानू न क्या रिश्ता है यह,
बस अजब एहसास है,लाख दूरियों के बाद भी,
नज़र, आता तू पास है,
मिल-मिल कर कर भी नहीं मिटती,
जाने कैसी प्यास है,
जानू न क्या रिश्ता है यह,
बस अजब एहसास है ।
हम तो कल के मुरीद हो गए ।
जीने की चाह में, पल-पल मरते रहे,
और कल के सपनों में शहीद हो गए ॥
अब तो तारे भी हमें, हमराही नज़र लगते है ।
हर आरज़ू मयखाने में बहा करती ।
अहिस्ता-अहिस्ता हर शौक दफ़न होने लगा,
ज़िन्दगी की तलाश में ।
ज़िन्दगी की तलाश में ।
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