हसरतों की नुमाइश, अब और नहीं,
लफ़्ज़ों की शिकायत, अब और नहीं,
थक गया हूँ खुद को निचोड़ कर परोसते-परोसते,
अब, दिल की नुमाइश, अब और नहीं ।
काश! पत्थर सा होता मैं भी,
यूँ पल-पल न रोता मैं भी,
हर पल खुश होता मैं भी,
कम-से-कम तनहा न होता मैं भी,
काश! पत्थर सा होता मैं भी,
पर अब हसरतों की नुमाइश, अब और नहीं,
लफ़्ज़ों की शिकायत, अब और नहीं,
थक गया हूँ खुद को निचोड़ परोसते-परोसते,
अब सूखे दिल में गुंजाईश, अब और नहीं ॥
लफ़्ज़ों की शिकायत, अब और नहीं,
थक गया हूँ खुद को निचोड़ कर परोसते-परोसते,
अब, दिल की नुमाइश, अब और नहीं ।
काश! पत्थर सा होता मैं भी,
यूँ पल-पल न रोता मैं भी,
हर पल खुश होता मैं भी,
कम-से-कम तनहा न होता मैं भी,
काश! पत्थर सा होता मैं भी,
पर अब हसरतों की नुमाइश, अब और नहीं,
लफ़्ज़ों की शिकायत, अब और नहीं,
थक गया हूँ खुद को निचोड़ परोसते-परोसते,
अब सूखे दिल में गुंजाईश, अब और नहीं ॥
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