बेचैन थी रात, जाने किस वास्ते,
उलझे रहे हालात, जाने किस वास्ते,
कहा तो वही उसने, जो सुनना मैंने न चाहा था,
फिर क्यूँ न उतरी बात, जाने किस वास्ते,
बेचैन थी रात, जाने किस वास्ते ।
दर्द उठता रहा सारी रात, जाने की वास्ते,
पिघली अश्कों की बरसात, जाने किस वास्ते,
सुना तो मैंने वही, जो सहना मैंने न चाहा था,
फिर क्यूँ बिखरी रात, जाने किस वास्ते,
बेचैन थी रात, जाने किस वास्ते ॥
उलझा-उलझा बैठा हूँ, जाने किस वास्ते,
आँखें भी बरसात लिए बैठी है, जाने किस वास्ते,
कह दिया उसने वही, जो जी को समझ न आता था,
फिर क्यूँ तकिये पर हो गयी बरसात, जाने किस वास्ते,
क्यूँ बिखरी थी रात, जाने किस वास्ते,
बेचैन थी रात, जाने किस वास्ते ॥।

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