इस रात की ख़ामोशी में, तेरी ही यादों का बसेरा हुआ,
आँखों में आस की रौशनी, दिल में दर्द का अँधेरा हुआ,
चाहता हूँ तेरे सीने से लिपट कर रोना,
पर यहाँ मेरी ही बाहों का बसेरा हुआ...
हर जर्रे में तुझे खोजने की कोशिश की,
दिल की दीवारों पर तेरा बसेरा हुआ,
चाहता था तुझे आफताब की तरह,
पर तू ही मेरा खुदा हुआ...
आँखों में आस की रौशनी, दिल में दर्द का अँधेरा हुआ,
चाहता हूँ तेरे सीने से लिपट कर रोना,
पर यहाँ मेरी ही बाहों का बसेरा हुआ...
हर जर्रे में तुझे खोजने की कोशिश की,
दिल की दीवारों पर तेरा बसेरा हुआ,
चाहता था तुझे आफताब की तरह,
पर तू ही मेरा खुदा हुआ...
वाह!!!वाह!!! क्या कहने, बेहद उम्दा
ReplyDelete@Sanjay Bhaskar: आपके स्नेह भरे लफ़्ज़ों के लिए इस छोटे से शख्स का तह-इ-दिल से शुक्रिया! आशा है, आपकी स्नेह-कृपा मेरे लफ़्ज़ों में हुनर-साथ देगी! धन्यवाद!! :)
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