Thursday, October 28, 2010

मुझको मेरी राहों में...

मुझको तन्हाई में भी, लोगो की आवाज़ सुनाई देती है,
मुझको अंधेरों में भी, खुद की परछाई दिखाई देती है,
बदल रहा हूँ मैं शायद, यह एहसास होने लगा है,
मुझको मेरी राहों में, तन्हाई दिखाई देती है...

2 comments:

  1. logo kee awaaz aur khud hi parchaai hote bhi tanhai kaisi???
    sundar rachna...

    ReplyDelete
  2. @Pooja: कभी-कभी तन्हाई में परछाई और अक्स भी साथ छोड़ देता है, उस वक़्त बस तन्हाई का आलम होता है और लफ़्ज़ों का साथ...आपके स्नेह भरे लफ़्ज़ों के लिए इस छोटे से शख्स का तह-इ-दिल से शुक्रिया! आशा है, आपकी स्नेह-कृपा मेरे लफ़्ज़ों में हुनर-साथ देगी! धन्यवाद!! :)

    ReplyDelete