Friday, April 29, 2011

ढोंग पर चलते रिश्तों से...

ढोंग पर चलते रिश्तों से, आज मैंने दर-किनार कर लिया,
चाहता रहा जिन्हें उम्र भर, उन्हें, चाहत से पार कर दिया,
सोचता था, जो झूटी उम्मीद थी, दो दिलों के दरमियाँ,
आज न जाने क्यूँ, उसे, दिल की सरहद से पार कर दिया,
चाहता रहा जिन्हें उम्र भर, उन्हें, चाहत से पार कर दिया,
ढोंग पर चलते रिश्तों से, आज, मैंने दर-किनार कर लिया...

क्यूँ भागता रहा उन झूटे वादों के पीछे, जिन पर दिल को कभी गुमां न था,
क्यूँ चाहता रहा उन रिश्तों को, जिनका कोई मुक़ाम न था,
एक झूटी आस के पीछे, गुज़ार दी हमने अपनी ज़िन्दगी सारी,
आज न जाने क्यूँ, उसे, दिल की सरहद से पार कर दिया,
चाहता रहा जिन्हें उम्र भर, उन्हें, चाहत से पार कर दिया,
ढोंग पर चलते रिश्तों से, आज मैंने दर-किनार कर लिया...

Monday, April 25, 2011

दो अंखिया...

उस चिलमन से झांकती दो अंखिया, 
हर चेहरे में तेरे ही अक्स खोजती दो अंखिया,
पर तू न गुज़रा, तेरी रूह न गुजरी, 
पर तेरे इंतज़ार में, चेहरों में चेहरा खोजती रही दो अंखिया...
पल हर पल गुज़रने लगा, मानो उम्र भर सा,
तेरे चेहरे की तलाश में, डूबी रही अश्कों में दो अंखिया,
पर तू न गुज़रा, तेरी रूह न गुजरी,
तेरे इंतज़ार में, चेहरों में चेहरा ढूढती रही दो अंखिया...

Monday, April 18, 2011

मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को...

मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को, आज, उस मुर्दे-दिल में कोई जान सी भर गया,
यूँ बेहेकने लगे मेरे कदम, जाने क्या जादू सा कर गया,
बस, उनकी कातिल नज़रों के शिकार हो गए,
उनको देखते-देखते, जाने कब हद्द से पार हो गए,
यूँ बेहेकने लगे मेरे कदम, जाने क्या जादू सा कर गया,
मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को, आज, उस मुर्दे-दिल में कोई जान सी भर गया...

Sunday, April 17, 2011

कुछ चेहरे अपने हो कर भी, अनजान से क्यूँ लगते है...

कुछ चेहरे हमे बे-शकल, बे-जान से क्यूँ लगते है,
कुछ चेहरे अपने हो कर भी, अनजान से क्यूँ लगते है,
बहुत जुगत कर संभाला था, जिन रिश्तों को,
आज वो रिश्ते हममे, अनजान से क्यूँ लगते है...
बरसों बैठे रहे इस उम्मीद में, कि कभी तो हाल-इ-दिल इकरार करेंगे,
बरसों सुनते रहे इस उम्मीद में, कि कभी तो गुनाह माफ़ कर हमसे प्यार करेंगे,
पर वो न बदले, बदली मेरी दुनिया सारी,
रातें जो हसीन थी कभी, बोझिल हो गयी सारी,
बहुत जुगत कर संभाला था, जिन अनमोल रिश्तों को,
आज वो रिश्ते हममे, अनजान से क्यूँ लगते है,
कुछ चेहरे हमे, बे-शकल, बे-जान से क्यूँ लगते है,
कुछ चेहरे अपने हो कर भी, अनजान से क्यूँ लगते है...

Saturday, April 16, 2011

क्यूँ उनके हर गम की, वजह बन जाते है हम...

क्यूँ उनके हर गम की, वजह बन जाते है हम,
फ़ासलों दूर है उनसे, पर क्यूँ हर बार खुद को गुनाहगार पाते है हम,
दिल दुखाने की कभी मंशा न थी हमारी, फिर क्यूँ वक़्त के गुनाहगार बनते जाते है हम,
अनजाने में जो हुई खता, उसकी सजा आज भी क्यूँ पाते है हम,
फ़ासलों दूर है उनसे, फिर क्यूँ हर बार खुद को गुनाहगार पाते है हम,
न जाने क्यूँ उनके हर गम की, वजह बन जाते है हम...

Friday, April 15, 2011

लफ़्ज़ों का दाएरा बदल गया...

आज लफ़्ज़ों का दाएरा बदल गया, उनके प्यार करने का काएदा बदल गया,
पहरों-पहर बातें किया करते थे जो, आज न जाने क्यूँ उनके प्यार का काएदा बदल गया,
एक पल वो भी था, जब एक पल भी जुदाई गवारा नहीं,
एक पल अब ये भी है, जब बातों का सहारा नहीं,
शायद यही दिल से चाहने की सज़ा है, की उनको अपना कोई गम नहीं,
दिल से मनाना खूब चाहते है, पर उनको कोई भरम नहीं,
देखते-देखते वक़्त का दाएरा बदल गया, दर्द इतना बढ़ गया की, लफ़्ज़ों का काएदा बदल गया,
पहरों-पहर बातें किया करते थे जो हमसे, आज न जाने क्यूँ उनके प्यार का काएदा बदल गया...

Sunday, April 10, 2011

मैंने कल को संवरते देखा है...

मैंने कल को बदलते देखता है, एक क्रांतिकारी आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
उमड़ आया पूरा भारत, उस मद्धम आवाज़ के पीछे,
एक गुमनाम आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
मैंने कल को संवरते देखा है...

चाहतें बहुत छोटी सी थी, हसरत कुछ कर दिखाने की, 
उम्र बहुत बड़ी थी, भोझ वो उठाने की,
पर-परन्तु होसलों की, आवाज़ वो बुलंद थी,
उन्ही होसलों पर, हिन्दुस्तान सारा चलते देखा है,
मैंने कल को बदलते देखा है, एक क्रांतिकारी आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
उमड़ आया सारा भारत, उस मद्धम आवाज़ के पीछे,
उस गुमनाम आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
मैंने कल को सवरते देखा है...

Friday, April 8, 2011

एक आवाज़ की आंधी...

शब्दों का जाल बदला, लोगो का सुर-ताल बदला,
एक आवाज़ की आंधी ऐसी उठी, पूरा हिन्दुस्तान बदला,
उसके बुलंद इरादे ने, सारा देश झकझोर दिया,
एक धीमी, मद्धम आवाज़ ने, मुल्क सारा एक किया,
साथ समर्थन देने को, सारा देश एक किया,
भ्रष्टाचार मिटने को, सारा भारत एक किया,
उसने शब्दों का जाल बदला, लोगो का सुर-ताल बदला,
एक आवाज़ की आंधी ऐसी उठी, की पूरा हिन्दुस्तान बदला...