Monday, April 25, 2011

दो अंखिया...

उस चिलमन से झांकती दो अंखिया, 
हर चेहरे में तेरे ही अक्स खोजती दो अंखिया,
पर तू न गुज़रा, तेरी रूह न गुजरी, 
पर तेरे इंतज़ार में, चेहरों में चेहरा खोजती रही दो अंखिया...
पल हर पल गुज़रने लगा, मानो उम्र भर सा,
तेरे चेहरे की तलाश में, डूबी रही अश्कों में दो अंखिया,
पर तू न गुज़रा, तेरी रूह न गुजरी,
तेरे इंतज़ार में, चेहरों में चेहरा ढूढती रही दो अंखिया...

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