Monday, April 18, 2011

मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को...

मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को, आज, उस मुर्दे-दिल में कोई जान सी भर गया,
यूँ बेहेकने लगे मेरे कदम, जाने क्या जादू सा कर गया,
बस, उनकी कातिल नज़रों के शिकार हो गए,
उनको देखते-देखते, जाने कब हद्द से पार हो गए,
यूँ बेहेकने लगे मेरे कदम, जाने क्या जादू सा कर गया,
मुद्दत से संभाला था जिस मुर्दे दिल को, आज, उस मुर्दे-दिल में कोई जान सी भर गया...

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