क्यूँ उनके हर गम की, वजह बन जाते है हम,
फ़ासलों दूर है उनसे, पर क्यूँ हर बार खुद को गुनाहगार पाते है हम,
दिल दुखाने की कभी मंशा न थी हमारी, फिर क्यूँ वक़्त के गुनाहगार बनते जाते है हम,
अनजाने में जो हुई खता, उसकी सजा आज भी क्यूँ पाते है हम,
फ़ासलों दूर है उनसे, फिर क्यूँ हर बार खुद को गुनाहगार पाते है हम,
न जाने क्यूँ उनके हर गम की, वजह बन जाते है हम...
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