आज लफ़्ज़ों का दाएरा बदल गया, उनके प्यार करने का काएदा बदल गया,
पहरों-पहर बातें किया करते थे जो, आज न जाने क्यूँ उनके प्यार का काएदा बदल गया,
एक पल वो भी था, जब एक पल भी जुदाई गवारा नहीं,
एक पल अब ये भी है, जब बातों का सहारा नहीं,
शायद यही दिल से चाहने की सज़ा है, की उनको अपना कोई गम नहीं,
दिल से मनाना खूब चाहते है, पर उनको कोई भरम नहीं,
देखते-देखते वक़्त का दाएरा बदल गया, दर्द इतना बढ़ गया की, लफ़्ज़ों का काएदा बदल गया,
पहरों-पहर बातें किया करते थे जो हमसे, आज न जाने क्यूँ उनके प्यार का काएदा बदल गया...
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