Sunday, April 10, 2011

मैंने कल को संवरते देखा है...

मैंने कल को बदलते देखता है, एक क्रांतिकारी आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
उमड़ आया पूरा भारत, उस मद्धम आवाज़ के पीछे,
एक गुमनाम आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
मैंने कल को संवरते देखा है...

चाहतें बहुत छोटी सी थी, हसरत कुछ कर दिखाने की, 
उम्र बहुत बड़ी थी, भोझ वो उठाने की,
पर-परन्तु होसलों की, आवाज़ वो बुलंद थी,
उन्ही होसलों पर, हिन्दुस्तान सारा चलते देखा है,
मैंने कल को बदलते देखा है, एक क्रांतिकारी आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
उमड़ आया सारा भारत, उस मद्धम आवाज़ के पीछे,
उस गुमनाम आवाज़ के पीछे, संसार सारा चलते देखा है,
मैंने कल को सवरते देखा है...

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