देख कन्हैया आया हूँ,
चावल पोटली लाया हूँ,
थोड़ी मन में हीन-भावना,
इसलिए इससे छुपाया हूँ,
देख कन्हैया आया हूँ |
संग-सखा पहले थे,
अब राजन कहलाये हो,
हे! राजन कहने को,
लफ्ज़ जुबां पर लाया हूँ,
देख कन्हैया आया हूँ ||
मैं प्यासा हूँ सदियों से,
भूख लगी है सदियों से,
व्यथा सुनाने आया हूँ,
थोड़ी मन में हीन-भावना,
इसलिए इससे छुपाया हूँ,
चावल पोटली लाया हूँ,
देख कन्हैया आया हूँ |||

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