मैंने आज से लिखना छोड़ दिया,
खुद से नाता तोड़ लिया,
चुभने लगे थे लफ्ज़ मुझे,
कभी, उनसे था नाता जोड़ लिया,
मैंने, आज से लिखना छोड़ दिया ।
जो चुभा करे मेरे अपनों को,
मेरे अपनों को मेरे सपनो को,
वो लफ्ज़ ही क्या जो भाए नहीं,
तीर तरह चुभ जाए कहीं,
मैंने लफ़्ज़ों को ही छोड़ दिया,
खुद से नाता तोड़ लिया,
मैं, आज से लिखना छोड़ दिया ॥
खुद से नाता तोड़ लिया,
चुभने लगे थे लफ्ज़ मुझे,
कभी, उनसे था नाता जोड़ लिया,
मैंने, आज से लिखना छोड़ दिया ।
जो चुभा करे मेरे अपनों को,
मेरे अपनों को मेरे सपनो को,
वो लफ्ज़ ही क्या जो भाए नहीं,
तीर तरह चुभ जाए कहीं,
मैंने लफ़्ज़ों को ही छोड़ दिया,
खुद से नाता तोड़ लिया,
मैं, आज से लिखना छोड़ दिया ॥
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