मोहोब्बत का फ़लसफ़ा अक्सर लोग मुझसे पुछा करते है,
और मैं कहता हूँ, वो इश्क ही क्या जिसमे शिकवे या गिला न हो,पूछते है, तो क्यूँ हो बिखरे-बिखरे से,
और मैं कहता हूँ, वो इश्क ही क्या जिसमे कोई ख़फा न हो ।
गुज़र ही जायेंगे मुफ़लिसी के दिन भी,
कहीं किसी रोज़ "अभिनव" (नया) मिलेगा ।
आज मैंने दिल को थोड़ा साफ़ किया,
कुछ को भूल गया, कुछ को माफ़ किया ।
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