चलो, आज एक ख़्याल कहता हूँ,
उलझा एक सवाल कहता हूँ,
भूल गया हूँ एक लफ्ज़ कहीं,
उसका एक मलाल कहता हूँ,
चलो, आज एक ख़्याल कहता हूँ ।
रात का सवाल था कि नींद क्यूँ गुम रही,
सुबह का मलाल था कि रात क्यूँ गुम-सुम गयी,
सूरज का सवाल था कि चांदनी क्यूँ कम रही,
चाँद का ख़्याल था कि रात कुछ यूँ थम गयी,
चलो, उसका यह ख़्याल कहता हूँ,
एक उलझा सा सवाल कहता हूँ,
भूल गया हूँ एक लफ्ज़ कहीं,
उसका एक मलाल कहता हूँ
चलो, आज एक ख़्याल कहता हूँ ॥
उलझा एक सवाल कहता हूँ,
भूल गया हूँ एक लफ्ज़ कहीं,
उसका एक मलाल कहता हूँ,
चलो, आज एक ख़्याल कहता हूँ ।
रात का सवाल था कि नींद क्यूँ गुम रही,
सुबह का मलाल था कि रात क्यूँ गुम-सुम गयी,
सूरज का सवाल था कि चांदनी क्यूँ कम रही,
चाँद का ख़्याल था कि रात कुछ यूँ थम गयी,
चलो, उसका यह ख़्याल कहता हूँ,
एक उलझा सा सवाल कहता हूँ,
भूल गया हूँ एक लफ्ज़ कहीं,
उसका एक मलाल कहता हूँ
चलो, आज एक ख़्याल कहता हूँ ॥
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