Monday, September 27, 2010

दुओं में तुम रहोगी...

दुआओ में तुम रहोगी, सदाओं में तुम रहोगी,
खुदा की हर इबादत की तरह, अदाओ में तुम रहोगी,
खुदा से गुज़ारिश रहेगी मेरी, हर दुआ में तेरा नाम आये,
गर कबूल हो तो दुआ में मेरे सर पर तेरा हाँथ आये...माँ

Friday, September 24, 2010

चेहरे पर झूठा नकाब था...

चेहरे पर फिर एक नया नकाब चढ़ा लिया,
रोता रहा दिल मेरा, हँसकर दिखा दिया,
आँख थी बोझिल, अश्कों का लिबास था,
दिल में दर्द भरा था और चेहरे पर झूठा नकाब था...

दिल ही नदारद है, मेरे ही वास्ते...

तड़पते थे मेरी एक आवाज़ को सुनने के वास्ते,
रात भर जागा करते थे, याद को संभाले मेरे वास्ते,
अब जो दिल लगा कर सुनते चाहते है, आहटे उनके दिलो की,
दिल ही नदारद है, मेरे ही वास्ते...

दिल लगाने का अंजाम...

आईने में आज खुद को देख ये गुमान होने लगा,
क्या ये मैं ही हूँ या पहचान खोने लगा,
दिल तड़पता था अंदर ही अंदर, अँधेरे में छुपकर रोता था,
तब जाके जाना दिल लगाने का क्या अंजाम होता था...

ज़िन्दगी की लालसा में...

आइना के फर्श पर, ओस की कुछ बूँदें टपकी,
देख नभ की ऋतुओ को, बादलों से तरंग टपकी,
देख उनको मुस्काया मैं, जिन्दगी की नयी उमंग टपकी,
बारिशों के संग-संग, बादलों से तरंग टपकी,
नभ के नीले आसुओं से, भीगी हरी-भारी ये धरती,
कल्पनाओं की लालसा में, तर सी गयी ये जिन्दगी,
शब्दों की लालसा में, भटकता मैं एक मुसाफिर,
जिन्दगी की लालसा में, नभ से टपकी फिर से जिन्दगी...

उसके झूटे वादे सुनकर...

जब-जब दिल को समझाना चाहा, उसने दिल को बहलाना चाहा,
उसके झूठे वाडे सुनकर, खुद दिलको समझाना चाहा,
दर्द भरा रहता था दिल में, चहरे पर मुस्कान थी,
दिल तो बेबस था मेरा और वो मुझसे अनजान थी,
सोच-सोच कर मैं घुटता था, दिल ही दिल में अन्दर-अन्दर,
देख कर उनको ये लगता था, प्यार भरा हो अन्दर-अन्दर,
हिम्मत करके कहना चाहा, हाल-इ-दिल मैंने अपना,
पर देख कर उनको ये लगता शायदा मुझसे अनजान थी,
शायद मंज़ूर-इ-खुदा, हालात यही थे,
मैं भी यूं खामोश रहा,
देख कर उनको खुश होता था, यादों में मदहोश रहा,
सपनों की दुनिया में जी कर, खुद ही में बे-होश रहा,
उसके झूठे वाडे सुनकर, गुप-चुप मैं खामोश रहा...

Sunday, September 19, 2010

लबों पर आज उनका नाम आ गया...

लबों पर आज उनका नाम आ गया,
प्यासे के सामने जैसे जाम आ गया,
डोले कदम तो गिरे उनकी बाहों में,
आज ये नशा ही हमारे काम आ गया...

Thursday, September 16, 2010

Story of NOTHING...

Something, something, something, something,

Always think for something-something,

Try to learn some new thing-new thing,

But did not found anything-anything,

Thought to put some new thing-new thing,

That turns my way to nothing-nothing,

Finally decide what would I going to texting,

But did not found anything-anything,

Always thought to write on something,

Looking and seeking for something-something,

But finally found nothing-nothing,

So, I decide to write on nothing,

The next moment I found something-something,

I put some words on NOTHING-NOTHING,

And here is my story on NOTHING-NOTHING,

When you try to learn a new thing,

Seek behind of something-something,

I hope you found a new thing-new thing,

Here is my story on NOTHING-NOTHING…

Monday, September 13, 2010

नज़रों से नज़रें मिली, क़त्ल-इ-आम हो गया...

नज़रों से नज़रें मिली, क़त्ल-इ-आम हो गया,
चेहरे पर मुस्कान थी, दिल बदनाम हो गया,
चेहरा चमक रहा था, सुर्ख होंठों पर कातिल मुस्कान थी,
दिल मेरा तड़प रहा था, पर लगता वो अनजान थी,
दो दिल तड़प रहे थे, हाल-इ-दिल बताने को,
दिल में हलचल मची थी, हाल-इ-दिल सुनाने को,
पर वो न बोले एक लफ्ज भी, हम भी न कह पाए वो बात,
बस देख उनको मुस्काते रहे, दिल में रख ली वो बात,
देखा मुड़कर मुझको जाते-जाते, आँखों का दीदार हुआ,
नज़रें उनकी झुकी, और दीवाना यार हुआ...

Saturday, September 11, 2010

क्या इतनी बड़ी खता थी, की गोया बात को न वो आया है...

खुद को तनहा छोड़ते ही, दिल में फिर सवाल आया है,
राह तनहा सी क्यूं लगती, दर्द सा क्यूं छाया है,
रात भर सोचा किये, जाग उल्लू की तरह,
क्या इतनी बड़ी खता थी, की गोया बात को वो आया है,
जान अपनी थी खता, दिल को यूं समझाया है,
दर्द अपना दिल में रख कर, दिल ही दिल रो आया मैं,
रात भर सोचा किये, जाग उल्लू की तरह,
क्या इतनी बड़ी खता थी, की गोया बात को न वो आया है...

Tuesday, September 7, 2010

रिश्तों की भी क्या खूब कहानी है...

रिश्तों की भी क्या खूब कहानी है,
कुछ अपनी, तो कुछ उनकी ज़बानी है,
जब-जब सोचा, दिल की हसरत बताने की,
तब-तब आवाज़ न जानी, पहचानी उनकी,
दिन भर सोचा करते है, रात फिर सुहानी होगी,
रोशन होंगे नए चिराग, फिर नयी कहानी होगी,
न दिल में दर्द होगा, न अश्कों की निशानी होगी,
पर फिर वही कहानी हुई,
आँखों में नमी, दिल में दर्द की निशानी होगी,
अश्क फिर भी बहेंगे, फिर गम की वही कहानी होगी...