Friday, September 24, 2010

दिल लगाने का अंजाम...

आईने में आज खुद को देख ये गुमान होने लगा,
क्या ये मैं ही हूँ या पहचान खोने लगा,
दिल तड़पता था अंदर ही अंदर, अँधेरे में छुपकर रोता था,
तब जाके जाना दिल लगाने का क्या अंजाम होता था...

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