आइना के फर्श पर, ओस की कुछ बूँदें टपकी,
देख नभ की ऋतुओ को, बादलों से तरंग टपकी,
देख उनको मुस्काया मैं, जिन्दगी की नयी उमंग टपकी,
बारिशों के संग-संग, बादलों से तरंग टपकी,
नभ के नीले आसुओं से, भीगी हरी-भारी ये धरती,
कल्पनाओं की लालसा में, तर सी गयी ये जिन्दगी,
शब्दों की लालसा में, भटकता मैं एक मुसाफिर,
जिन्दगी की लालसा में, नभ से टपकी फिर से जिन्दगी...
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