Friday, September 24, 2010

ज़िन्दगी की लालसा में...

आइना के फर्श पर, ओस की कुछ बूँदें टपकी,
देख नभ की ऋतुओ को, बादलों से तरंग टपकी,
देख उनको मुस्काया मैं, जिन्दगी की नयी उमंग टपकी,
बारिशों के संग-संग, बादलों से तरंग टपकी,
नभ के नीले आसुओं से, भीगी हरी-भारी ये धरती,
कल्पनाओं की लालसा में, तर सी गयी ये जिन्दगी,
शब्दों की लालसा में, भटकता मैं एक मुसाफिर,
जिन्दगी की लालसा में, नभ से टपकी फिर से जिन्दगी...

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