खुद को तनहा छोड़ते ही, दिल में फिर सवाल आया है,
राह तनहा सी क्यूं लगती, दर्द सा क्यूं छाया है,
रात भर सोचा किये, जाग उल्लू की तरह,
क्या इतनी बड़ी खता थी, की गोया बात को न वो आया है,
जान अपनी थी खता, दिल को यूं समझाया है,
दर्द अपना दिल में रख कर, दिल ही दिल रो आया मैं,
रात भर सोचा किये, जाग उल्लू की तरह,
क्या इतनी बड़ी खता थी, की गोया बात को न वो आया है...
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