लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Monday, September 12, 2011
जला दिया...
जला दिया आज उन रिश्तों को, जो दिल को कभी अज़ीज़ थे,
दबा दिया
उन यादों को, जो दिल के कभी करीब थे,
खुद की यादों का जनाज़ा निकाला, खुद बड़े ही शौक से,
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