Wednesday, September 7, 2011

इस इश्क-मुश्क की खातिर...

जाने कितने शायर-यार हुए, जाने कितने बेकार हुए,
इस इश्क-मुश्क की खातिर, जाने कितने बीमार हुए,
हादसा यह तब हुआ, जब तुझसे आँखें चार हुई,
हादसा यह तब हुआ, जब ख़्वाबों की बरसात हुई,
हम भी फिर गए काम से, बन कर शायर-यार हुए,
जाने कितने शायर-यार हुए, जाने कितने बेकार हुए

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