Tuesday, October 16, 2012

मयस्सर...

बड़े तल्लीन हो तश्तीफ कर यह जाना,
कि हर गुनाह की वजह हम है,
कहीं दिल टूटने की सजा हम है,
तो कहीं दिल तोड़ने की वजह हम है ।

ये सांस, ये रूह जो बाकी है,
शायद खुदा तेरी जुदाई ही झांकी है,
मैं जिंदा हूँ दफ़न सा,
लिपटा हूँ कफ़न सा,
बस बे-जान जिस्म में कुछ सांसें बाकी है,
शायद खुदा तेरी जुदाई ही झांकी है,
ये सांस, ये जो रूह बाकी है |

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