Wednesday, October 3, 2012

शख्स कहीं मुझसा है बेगाना...

खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।

है अजीब, अड़ियल काया,
धूमिल पड़ती उसकी छाया,
अंग, नंग, म्रदंग, रहता सबसे तंग,
खुद ही खुद में रह कर, लड़ता खुद से जंग,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।।

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