खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।
है अजीब, अड़ियल काया,
धूमिल पड़ती उसकी छाया,
अंग, नंग, म्रदंग, रहता सबसे तंग,
खुद ही खुद में रह कर, लड़ता खुद से जंग,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।।
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।
है अजीब, अड़ियल काया,
धूमिल पड़ती उसकी छाया,
अंग, नंग, म्रदंग, रहता सबसे तंग,
खुद ही खुद में रह कर, लड़ता खुद से जंग,
खुद में उलझा-उलझा सा,
बातों में सुलझा-सुलझा सा,
दुनिया से बेगाना,
खुद में झाँका तो यह जाना,
एक शख्स कहीं मुझसा है बेगाना ।।
No comments:
Post a Comment