Tuesday, June 4, 2013

और...

जानू न कैसे तेरे हर पल में शामिल हूँ,
यहाँ तो विराना नज़र आता है मुझे मेरे आस पास ।

इतनी बेताब नहीं थी "ज़िन्दगी" तुझसे मिलने से पहले,
चाहतें बढ़ती रहती है, हलकी-हलकी आहटों पर ।

बड़ा बेचैन हो "ज़िन्दगी" से मिला मैं,
साथ न हो तेरा तो डरता हूँ मैं ।

ख़्वाबों की नुमाइश कर यह जाना, 
कि, सुर्ख़ शब् की लालिमा रोज़ अच्छी नहीं ।

बड़ी दीवानगी सी होती है इश्क़ में यह जाना आज,
कि, तेरे न होने से दिल की धड़कन तक सुनाई नहीं देती ।

बड़ी बेबाकी से जीया करते थे हम,
और, इश्क़ हो गया ।

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