Sunday, June 23, 2013

तन्हाई का तस्सवुर...

तन्हाई का तस्सवुर भी देखा,
रुलाई का मंज़र भी देखा,
पर कुछ न मिला तनहा यादों के सिवा ।
उलझे हालात भी देखे,
बिखरे जज़्बात भी देखे,
पर कुछ न मिला तनहा मंज़र के सिवा ।।

वो चले ही क्या जो किसी अंजाम तक न पहुंचे,
जाम वो उठाओ जो किसी के नाम तक पहुंचे ।

हालात-ए-सितम का आईना जब टूटा,
मैं ख़ाक में मिल गया,
उनकी रूह से सामना जब हुआ,
मैं होंठों को सिल गया,
कुछ कहना मुनासिब न लगा बदलते हालात पर,
मैं चुप रहा, और लफ़्ज़ों में घिर गया,
हालात-ए-सितम का आईना जब टूटा,
मैं ख़ाक में मिल गया ।

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