Tuesday, June 4, 2013

एक रोज़ बताएँगे...

हाल-ए-दिल तुम्हे एक रोज़ बताएँगे,
क्या-क्या है सवाल-ए-दिल एक रोज़ बताएँगे,
उलझे रहते है खुद में यूँ ही,
खुद से निकले बाहर तो एक रोज़ बताएँगे,
हाल-ए-दिल तुम्हे एक रोज़ बताएँगे ।

उलझी सारी यारियां एक रोज़ दिखायेंगे,
कैसे हुए पराये लोग एक रोज़ मिलायेंगे,
दिल-ए-सवाल एक रोज़ सुनायेंगे,
खुद से निकले बाहर तो एक रोज़ बताएँगे,
हाल-ए-दिल तुम्हे एक रोज़ बताएँगे ॥ 

कलम न उठती एक रोज़ बताएँगे,
अन्दर, बातें है चलती एक रोज़ सुनायेंगे,
उलझा है मिजाज़ एक रोज़ खुद से मिलायेंगे,
खुद से निकले बाहर तो एक रोज़ बताएँगे,
हाल-ए-दिल तुम्हे एक रोज़ सुनायेंगे ||| 

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