Tuesday, May 18, 2010

आज मुद्दत बाद मैंने फिर कलम उठाया है...

आज मुद्दत बाद मैंने फिर कलम उठाया है,
आज मुद्दत बाद मेरे जी को लिखने आया है,
सोचता हूँ क्या लिखूं, दिल-इ-नादा बता,
जानती दुनिया ये सब है, क्या जो छुपने पाया है...

सुर्ख शब् की लालिमा में, रात अंधियारे की तरह,
खो गया हूँ मैं यहाँ,
तेज़ रौशनी सा खुद को, आज जलते पाया है,
आज मुद्दत बाद मैं फिर कलम उठाया है...

No comments:

Post a Comment