टिक-टिक करते घड़ी के कांटे, सूर्य तो चड़ता जाइएगा,
घड़ी परन्तु रुक भी जाये, वक़्त न रुकने पायेगा,
देख अमानुष काल की गड़ना, वक़्त तो फिर भी आयेगा,
जीवन तो है वक़्त का पहिया, ये तो बढता जाइएगा,
न रुका है, न रुकेगा, वक़्त तो पानी-धरा है,
समझ के करजा काज को प्यारे, वक़्त न फिर ये आयेगा...
घड़ी परन्तु रुक भी जाये, वक़्त न रुकने पायेगा,
देख अमानुष काल की गड़ना, वक़्त तो फिर भी आयेगा,
जीवन तो है वक़्त का पहिया, ये तो बढता जाइएगा,
न रुका है, न रुकेगा, वक़्त तो पानी-धरा है,
समझ के करजा काज को प्यारे, वक़्त न फिर ये आयेगा...
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