लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, May 18, 2010
लफ़्ज़ों के दायरे में, मैं न आने पाउँगा...
लफ़्ज़ों के दायरे में, मैं न आने पाउँगा, पूरे शब्दकोश में, मैं ही मैं समां जाऊंगा, जानना थोड़ा है मुश्किल, पर समझ आ जाऊंगा, लफ़्ज़ों के दायरे में, मैं न आने पाउँगा...
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