नज़रे मिली कुछ इस कदर, दिल बे-करार हो गया,
घायल दिल मेरा हुआ, आशिक यार हो गया...
सोचा आज कह देंगे ज़माने से, हाल-इ-दिल अपना,
पर देखते ही देखते, उनसे प्यार हो गया....
गौर-तलब था हाल-इ-दिल अपना, तबीयत मुसहरी-यार हो गया ज़माना,
नज़रे मिली कुछ इस कदर, दिल बे-करार हो गया...
बन के शायर लिखता मैं अजनबी, हाल-इ-दिल यार खो गया,
सोचा शिकायत करूँगा खुदा से, पर खुदा भी उनका यार हो गया....
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