लिखत-लिखत कलम घिसे, गहरी होत दवात, मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास,
कह अभिनव, नव-नूतन बनके, लिख दो दिल की आस,
मन तरसे नए शब्दों को, बुझे न लिखन की प्यास...
Tuesday, February 15, 2011
ये बरसात अच्छी लगती है...
तुझसे भीगे लम्हात के बाद, ये बरसात अच्छी लगती है,
तेरे दिए दर्द के बाद, अँधेरी रात अच्छी लगती है,
तेज़ बारिश के बाद, सुनहरी धुप की चाह की तरह,
तुझसे भीगे लम्हात के बाद, ये बरसात अच्छी लगती है...
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